मेरी नज़र में नवनीत शर्मा

अपने आस-पास, अपने माता-पिता, अपनी मिट्टी से गहरा लगाव, और उतना ही गहरा इस लगाव को अभिव्यक्त करने का हुनर है नवनीत शर्मा के पास। नवनीत का शिल्प अत्यंत प्रभावशाली है। नवनीत की कविताओं में जो धार है वही रवानगी इनकी ग़ज़लों में भी है। और कहने का अंदाज़ जैसा इनका है, किसी-किसी का होता है। मशहूर शायर साग़र ‘पालमपुरी’ के पुत्र होने के साथ- सुपरिचित ग़ज़लकार श्री द्विजेंद्र ‘द्विज’ के अनुज भी हैं नवनीत। इन दिनो नवनीत पत्रकारिता से जुड़े हैं लेकिन साहित्य से इनका लगाव आज भी बरकरार है। आपको नवनीत शर्मा की रचनाएं कैसी लगती हैं आप ज़रूर अपनी राय दें- प्रकाश बादल।

Sunday, October 4, 2009

..हर मकां भी तो घर नहीं होता

यह जो बस्ती में डर नहीं होता
सबका सजदे में सर नहीं होता

तेरे दिल में अगर नहीं होता
मैं भी तेरी डगर नहीं होता

रेत के घर पहाड़ की दस्तक
वाक़िया ये ख़बर नही होता

ख़ुदपरस्ती ये आदतों का लिहाफ़
ख़्वाब तो हैं गजर नहीं होता

मंज़िलें जिनको रोक लेती हैं
उनका कोई सफ़र नहीं होता

पूछ उससे उड़ान का मतलब
जिस परिंदे का पर नहीं होता

आरज़ू घर की पालिए लेकिन
हर मकाँ भी तो घर नहीं होता

तू मिला है मगर तू ग़ायब है
ऐसा होना बसर नहीं होता

इत्तिफ़ाक़न जो शे`र हो आया
क्या न होता अगर नहीं होता.

5 comments:

बवाल said...

पूछ उससे उड़ान का मतलब
जिस परिंदे का पर नहीं होता

आरज़ू घर की पालिए लेकिन
हर मकाँ भी तो घर नहीं होता

क्या बात है! बहुत ख़ूब!

"अर्श" said...

प्रकाश भाई नवनीत भाई की ग़ज़लों के बारे में क्या कही जाये क्या खूब ग़ज़ल कहतें है ...

पूछ उससे उड़ान का मतलब
जिस परिंदे का पर नहीं होता

आरज़ू घर की पालिए लेकिन
हर मकाँ भी तो घर नहीं होता

सिर्फ दो शे'र लिखने का मतलब ये कतई ना समझा जाये की सिर्फ यही दो अछे है ... पूरी ग़ज़ल ही मुकम्मल है दिल से आह और वाह निकल रहा है ढेरो बधाई

अर्श

mehek said...

रेत के घर पहाड़ की दस्तक
वाक़िया ये ख़बर नही होता

ख़ुदपरस्ती ये आदतों का लिहाफ़
ख़्वाब तो हैं गजर नहीं होता

waah lajawab,puri gazal hi bahut pasand aayi aur template ka ye chatakdaar rang bhi.

नीरज गोस्वामी said...

मंज़िलें जिनको रोक लेती हैं
उनका कोई सफ़र नहीं होता

waah waah waa...Zindabaad navniit ji Zindabaad...Is behad khoobsurat ghazal ke liye daad kabool farmayen...aapko padhna hamesha hi ek khushnuma ehsaas hai...

Neeraj

daanish said...

तेरे दिल में अगर नहीं होता
मैं भी तेरी डगर नहीं होता

पूछ उससे उड़ान का मतलब
जिस परिंदे का पर नहीं होता

bahut bahut bahut achhee sher
waah...
badhaaee .