घर
भेजते रहना
पिछवाडे वाले हरसिंगार जितनी हंसी
घराल के साथ वाले अमरूद की चमक
दुनिया चाहती है तरह-तरह के सवाल रखना
शरारतों के बाद
मेरे छुपने के ठिकानों
अपना ख्याल रखना
2
खिड़कियों को भाने लगा है आकाश
सूरज से बिंध रही है छत
घर तब तक ही रहता है घर
जब तक उग नहीं आते
उसी में से और कई छोटे-छोटे घर
3
दरवाजे की सांकल पर
सूली चढ़ा है इंतजार
कौन है किसके पास
क्यारियों में हार गए फूल
जीत गया घास
4
उस परिचित से लगने वाले
बुजुर्ग की बेतरतीब दाढ़ी बहुत उदास करती है
जैसे मिला न हो कोई हज्जाम बरसों से
लोग इसे छूटा हुआ घर कहते हैं
5
यहीं से टूटता है घर
जब छोटे-छोटे उबाल
बन जाते हैं बड़े ज्वालामुखी
मेरी नज़र में नवनीत शर्मा
अपने आस-पास, अपने माता-पिता, अपनी मिट्टी से गहरा लगाव, और उतना ही गहरा इस लगाव को अभिव्यक्त करने का हुनर है नवनीत शर्मा के पास। नवनीत का शिल्प अत्यंत प्रभावशाली है। नवनीत की कविताओं में जो धार है वही रवानगी इनकी ग़ज़लों में भी है। और कहने का अंदाज़ जैसा इनका है, किसी-किसी का होता है। मशहूर शायर साग़र ‘पालमपुरी’ के पुत्र होने के साथ- सुपरिचित ग़ज़लकार श्री द्विजेंद्र ‘द्विज’ के अनुज भी हैं नवनीत। इन दिनो नवनीत पत्रकारिता से जुड़े हैं लेकिन साहित्य से इनका लगाव आज भी बरकरार है। आपको नवनीत शर्मा की रचनाएं कैसी लगती हैं आप ज़रूर अपनी राय दें- प्रकाश बादल।
16 comments:
शरारतों के बाद
मेरे छुपने के ठिकानों
अपना ख्याल रखना
bahut badhia bhaai prakash ji navneet ji ke kavita padhane ke liye. vaah vaah---------
vermasunilsml@yahoo.com
Bahut Achi kavitian likhi haii iske liye aap badhai ke patr haii
वाह....वाह .....वाह
क्या बात है
बहुत खूब !
दिलोदिमाग को अत्यन्त करीब से
छूती हैं पंक्तियाँ !
बेहद उद्देश्यपूर्ण कवितायें है आपकी !
गूढ़ अर्थों को संजोये हुए ये कवितायें पठनीय हैं !
आशा है आगे भी ऐसी ही
सार्थक रचनाएं पढने को मिलेंगी !
मेरी हार्दिक शुभकामनाएं !
भेजते रहना
पिछवाडे वाले हरसिंगार जितनी हंसी
वाह...वा...क्या शब्द हैं और क्या खूब भाव....बड़े मियां तो बड़े मियां छोटे मियां सुभान अल्लाह....जरूर सागर साहेब ऐसे नायाब बेटों पर गुरूर कर रहे होंगे...काश आज वो होते तो देखते की उनकी लगाई बेल पर कितने खूबसूरत फूल खिले हैं जिनकी खुशबू से सारा जहाँ महक रहा है...
नीरज
बहुत अच्छी कवितायें हैं। beautiful...
कलम से जोड्कर भाव अपने
ये कौनसा समंदर बनाया है
बूंद-बूंद की अभिव्यक्ति ने
सुंदर रचना संसार बनाया है
भावों की अभिव्यक्ति मन को सुकुन पहुंचाती है।
लिखते रहिए लिखने वालों की मंज़िल यही है ।
कविता,गज़ल और शेर के लिए मेरे ब्लोग पर स्वागत है ।
मेरे द्वारा संपादित पत्रिका देखें
www.zindagilive08.blogspot.com
आर्ट के लिए देखें
www.chitrasansar.blogspot.com
हिंदी लिखाड़ियों की दुनिया में आपका स्वागत। अच्छा लिखे। बढिया लिखे। हार्दिक शुभकामनांए।
bahut hi ghera likha hai sir
ji.............
๑۩۞۩๑वंदना शब्दों की ๑۩۞۩๑
बहुत सुंदर ...आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्लाग जगत में स्वागत है.....आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्त करेंगे .....हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।
खिड़कियों को भाने लगा है आकाश
सूरज से बिंध रही है छत
घर तब तक ही रहता है घर
जब तक उग नहीं आते
उसी में से और कई छोटे-छोटे घर
बहुत ही अच्छा लिखा है.सभी कवितायें बहुत अच्छी लगीं.
शब्दों का चयन और गठन दोनों बेहद सुंदर.
भाव भरी कवितायें पढ़वाने के लिए प्रकाश जी आप का धन्यवाद और नवनीत जी को बधाई.
दरवाजे की सांकल पर
सूली चढ़ा है इंतजार
कौन है किसके पास
क्यारियों में हार गए फूल
जीत गया घास
बहुत ही अच्छा लिखा, भावों की सुंदर अभिव्यक्ति
मज़ा आ गया पढ़ कर
सच कहा है
बहुत ... बहुत .. बहुत अच्छा लिखा है
हिन्दी चिठ्ठा विश्व में स्वागत है
टेम्पलेट अच्छा चुना है
कृपया मेरा भी ब्लाग देखे और टिप्पणी दे
http://www.ucohindi.co.nr
खिड़कियों को भाने लगा है आकाश
सूरज से बिंध रही है छत
घर तब तक ही रहता है घर
जब तक उग नहीं आते
उसी में से और कई छोटे-छोटे घर
हिन्दी ब्लॉग जगत में प्रवेश करने पर आप बधाई के पात्र हैं / आशा है की आप किसी न किसी रूप में मातृभाषा हिन्दी की श्री-वृद्धि में अपना योगदान करते रहेंगे!!!
इच्छा है कि आपका यह ब्लॉग सफलता की नई-नई ऊँचाइयों को छुए!!!!
स्वागतम्!
लिखिए, खूब लिखिए!!!!!
प्राइमरी का मास्टर का पीछा करें
Bhai Sunil Verma,Hitender, Rachna Gaur ji, Rajiv, Prakhash Govind ji, Ashok Madhup ji, Neeraj goswami ji, Do pal, Alpana verma ji, Digambar ji, Sangeeta Puri ji, Hindustani aur Praveen Dwivedi ji aap sab ne hausla badhhaya. dil se Abhaar. yes sambandh aur pakega aisi kamna karta hoon. Mitra Prakash Badal ji ka bhi dhanyavaad.
Navneet Sharma
भाई नवनीत जी,
आज ये दिन भी देखने को मिला आपने भाई को मित्र कह डाला।
मुझे किसी का शेर याद आ रहा है
"अब उससे जुड़ गया एक और रिश्ता,
कि मेरा भाई अब मेरा पड़ोसी हो गया।"
यहां मैं पड़ोसी की जगह मित्र लगाना चाहूंगा सिर्फ आपके लिए।
जहां तक आपके लेखन की बात है तो आपके ख्याज लाजवाब हैं और उससे भी लाजवाब आपका भाव व्यक्त करने का शिल्प और अगर तो आपकी कविता किसी मंच पर आपसे ही सुन ली जाए तो फिर तो मज़ा ही कुछ और है। खूब लिखें और अपनी ताज़ा रचनाएं मुझे भेजते रहे ताकि मैं सभी पाठकों को आपकी बानगी से वाकिफ करा सकूं।
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